गुनाह.!!
दोस्ती में माफ़ी कहाँ से आ गयी,
गुनाह करने से पहले सोचना होता.!सोच-समझ कर बोलिये यारो से,
तोड़ने बाद जोड़ना मुश्किल होता.!!
Posted on December 23, 2017, in Shayari-e-Dard. Bookmark the permalink. Leave a comment.
दोस्ती में माफ़ी कहाँ से आ गयी,
गुनाह करने से पहले सोचना होता.!सोच-समझ कर बोलिये यारो से,
तोड़ने बाद जोड़ना मुश्किल होता.!!
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