करती है मेरे अरमानों की धुलाई.!!
ये तेरा रोज़-रोज़ का कॉलेज,
और कॉलेज की पढाई.!
रात जाग असाइनमेंट्स बनाना,
है मेरे इश्क़ में रुकाई.!!लिखती अच्छा लिखावट अच्छी,
खूब लूटती है वाह-वाही.!
ग़ज़ल लिख या शेर मेरे नाम पर,
कब लिखेगी तू रुबाई.!!मीठी-मीठी बातें बहुत करती है,
लोग माने तुझे मिठाई.!!
आशिक़ बड़े तेरे पर मेरे नाम तो,
होती है बस जग-हसाई.!!दिल खोल हाल-ए-दिल बताया,
देखें कब होगी भरपाई.!
कब होंगे पूरे अब तक करती है
मेरे अरमानों की धुलाई.!!
Posted on December 23, 2017, in Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. Leave a comment.
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