ज़िन्दगी की कमी है तू.!!
कई साल पहले एक नज़्म लिखी थी…
आज फिर कुछ यादें तजा हो आयी…
आज उसका अगला हिस्सा अर्ज़ है:-
मेरी ज़िन्दगी की कमी है तू,
जिसे चाह कर ना भुला सकूँ.!
जो हवा मुझे दर्द दे गई,
वो तेरे ग़मों को ले उड़े.!!तेरे सामने है ज़िन्दगी पड़ी,
एक मैं नहीं तो क्या हुआ.!
जो प्यार अभी हुआ नहीं,
उस प्यार को क्यों याद करे.!!एक वहम सिवा कुछ नहीं,
तेरा रकीब हूँ कोई दोस्त नहीं.!
तुझे कसम तेरे प्यार की,
तेरा हमसफ़र “सागर” नहीं.!!
Posted on December 20, 2017, in Nagama-e-Dil Shayari. Bookmark the permalink. 4 Comments.
Nice
LikeLiked by 1 person
Thank u so much Ananya-G.
LikeLike
bahut khub likha hai.
LikeLiked by 1 person
Dhanywad Madhusudan ji.
LikeLike