गुस्सा.!!
जिस पे होता ज्यादा गुस्सा,
उसी पर प्यार आता.!
प्यासा ही जाता कुएं पास,
कुआं बरक़रार रहता.!!
जिस पे होता ज्यादा गुस्सा…
मुहब्बत का दस्तूर है यही,
उसी से जहाँ झगड़ा.!
जहां ना हो नौक-झौंक,
मज़ा क्या ख़ाक रहता.!!
जिस पे होता ज्यादा गुस्सा…
कसमें वादों भरा है बंधन,
साथी के संग सफर.!
जो निभा ना सके सब,
वफ़ा बदनाम करता.!!
जिस पे होता ज्यादा गुस्सा…
Published
25/10/2017 at 11:48 AM
Posted on October 21, 2017, in Ghazals Zone. Bookmark the permalink. Leave a comment.
Leave a comment
Comments 0