A Finger
ज़िंदगी में इतने संग दिल ना बानिए या यूँ कहें ऐसे
भी किसी से बात ना करें कि
‘दोस्ती की गुंजाइश ही ना रह जाए‘
ज़रूरी नहीं जैसा आप आज किसी व्यक्ति-विशेष
के बार में सौचते हों कल भी आपकी उसके प्रति
वही सौच रहे?तब उससे आप क्या उम्मीद करेंगे?
‘संबंध बिगाड़ना एक मिनट का काम है बनाने में
सदियाँ भी लग सकती हैं“
आप हमेशां किसी को अकेले ही दोषी नहीं ठहरा
सकते?हो सकता है आपकी भी कोई ग़लती हो
जिसे आप नज़रअंदाज़ कर गये हों ? वक़्त गुज़र
जाता है और फिर वो लौट कर नहीं! आपकी
‘ज़रा-सी नादानी आपको उमर भर का
अफ़सोस दे सकती है ?’
और हां चलते-चलते ‘नाम होने या रख लेने से
ही कोई सूरज,रोशनी,प्रताप,चाँदनी-‘सागर‘
आदि-आदि नहीं हो जाता?उसके लिए आप के
कर्म उत्तरदायी होते हैं ?‘
अच्छे कर्मों में यक़ीन रखिए दुनियाँ वर्तमान
भूत और भविष्य में भी आपको याद रखेगी!
एक उंगली उस की तरफ़ की,
चार खुद पर उठा ली.!
अपना दामन ना देखा,
ग़लती दूजे की निकाल ली.!!
Ek Ungli Us Ki Tarf Ki,
Chaar Khud Par Utha Lee.!
Apna Daman Na Dekha,
Galti Duze Ki Nikaal Lee.!!
Posted on July 28, 2016, in Thought of the Day. Bookmark the permalink. 8 Comments.
Sahi baat hai. 🙂
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Aap Jaise Achche-Sahi Insaanon Se Yahi Ummeed Rehti Hai
‘Sahi Sauch aur Samjh’Shmabhavi ji.
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Thanks! 😀 You’re too humble! Stay blessed and have a great weekend! ^_^
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Wah ji wah
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Thanks a lot.
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Not More Than U Shambhavi Ji.
Your Too.
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As I mentioned you’re too kind! 🙂 🙂
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It’s Okay.But U Too.
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